Very Short Story in Hindi main एक गरीब व्यापारी पुत्र श्रीमान्त अपनी तराजू एक धूर्त व्यापारी धर्मपाल के पास धरोहर के रूप में रखता है। जब वह वापस आता है, तो धर्मपाल झूठ बोलता है कि चूहों ने तराजू खा ली। श्रीमान्त अपनी बुद्धि से धर्मपाल को उसकी झूठ का एहसास कराता है और अंततः न्याय प्राप्त करता है।
भाग्यहीन व्यापारी पुत्र | Very Short Story in Hindi

प्राचीन काल में, एक व्यापारिक नगरी के हृदय में, भाग्यहीन एक व्यापारी का पुत्र रहता था। उसका नाम श्रीमान्त था। पिता की मृत्यु के बाद, विशाल धन-संपत्ति की आशा तो दूर, श्रीमान्त के भाग्य में जुटी केवल एक मन दस सेर वज़न की पुरानी, भारी लोहे की तराजू। घर में और कोई नहीं था, सहारा-संबल कहने को वही जर्जर घर और पिता की स्मृति से जुड़ी वह तराजू थी।
व्यापार यात्रा की तैयारी और धरोहर |Story in Hindi

जीवन निर्वाह की आवश्यकता से, श्रीमान्त ने व्यापार यात्रा की योजना बनाई। किन्तु इतनी भारी तराजू लेकर अकेले यात्रा करना संभव नहीं था। इसलिए विवश होकर, वह नगर के प्रभावशाली व्यापारी धर्मपाल के पास गया। सरल विश्वास में, अपनी मूल्यवान तराजू धर्मपाल की देखरेख में रखकर, श्रीमान्त दूर देश चला गया, भाग्य बदलने की आशा में।
लम्बी वापसी और तराजू की माँग |Hindi Short Story

लम्बे समय बाद, जब व्यापार सफल हुआ, तो श्रीमान्त का मन आनंद से भर गया। दूर देश से अर्जित धन-रत्न लेकर, वह सीधा धर्मपाल के घर पहुँचा। हँसमुख होकर पड़ोसी से बोला, “भाई धर्मपाल, मैं बहुत दिनों बाद लौटा हूँ। अब मेरी तराजू वापस कर दो, व्यापार का हिसाब मिलाना है।”
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धर्मपाल का कपटपूर्ण उत्तर |Hindi Moral Story

धर्मपाल का चेहरा पहले फीका पड़ गया, फिर कृत्रिम दुःख की छाया डालकर बोला, “भाई श्रीमान्त, दुःख की बात क्या कहूँ! तुम्हारी वह तराजू तो चूहों ने चट कर डाली!”
श्रीमान्त की चतुराई |Hindi story for children
श्रीमान्त ने धर्मपाल का झूठ तुरंत पकड़ लिया। लोहे की तराजू चूहे खा जाएँ, यह बात নিতান্ত ही हास्यास्पद थी। किन्तु बाहर क्रोध प्रकट न करके, बल्कि शांत स्वर में बोला, “ऐसा है क्या? तो फिर क्या किया जा सकता है! लोहे की तराजू, निश्चय ही बहुत नरम और स्वादिष्ट रही होगी, तभी तो चूहे अपना लोभ नहीं रोक पाए।”
भोजन का निमंत्रण और एक योजना Moral story bachho ke liye
कुछ क्षण নীরব रहकर, मानो कोई और बात कह रहा हो इस तरह श्रीमान्त बोला, “भाई धर्मपाल, आज रास्ते में बहुत काम है, दोपहर में घर लौटकर खाना बनाने का समय नहीं मिलेगा। तुम्हारे घर पर ही यदि थोड़ा आश्रय मिल जाए, और दोपहर का भोजन कर लूँ, तो बड़ा उपकार हो।”
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धर्मपाल की स्वीकृति और पुत्र को भेजना |Gyan Katha Kahani

धर्मपाल ने मानो राहत की साँस ली। सोचा, चलो अच्छा है, यह आदमी तो भोला-भाला दिखता है। तराजू की बात शायद भूल ही गया। मुँह पर हँसी लाकर बोला, “अरे आओ आओ भाई श्रीमान्त, क्या असुविधा है? यह तो तुम्हारा ही घर है। आज तो हमारे घर पर खाना बनेगा ही, तुम বরং स्नान करके यहीं खा जाना।”
श्रीमान्त ने अवसर देखकर कहा, “भाई धर्मपाल, अपने लड़के को जरा साथ दे दो ना, नदी में जाकर स्नान कर आऊँ।” धर्मपाल सहमत होकर खुशी हो गया। उसके मन में कोई संकोच नहीं थी, क्योंकि वह सोच भी नहीं सकता था कि श्रीमान्त उसकी चालाकी समझ गया है।
धर्मपाल के पुत्र का रहस्यमय गायब होना | Hindi Kahaniya
श्रीमान्त धर्मपाल के पुत्र को साथ लेकर नदी की ओर रवाना हुआ। स्नान समाप्त करके, लौटते समय, परिचित एक मित्र के घर पर धर्मपाल के लड़के को छिपा दिया, और अकेला ही धर्मपाल के घर लौट आया।
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धर्मपाल की पूछताछ और श्रीमान्त का जवाब | Kahaniya

धर्मपाल उत्सुक होकर पूछा, “श्रीमान्त, अकेले लौटे हो? मेरा लड़का कहाँ है?”
श्रीमान्त ने गहरा दुःख प्रकट करते हुए कहा, “भाई धर्मपाल, क्या बताऊँ! तुम्हारा लड़का तो मेरे साथ ही आ रहा था। अचानक, आकाश से एक बाज झपटा और तुम्हारे लड़के को उठा ले गया!”
राजदरबार में शिकायत | Grandma Story
धर्मपाल मानो आसमान से गिर पड़ा। क्रोध से उसका शरीर काँपने लगा। यह कैसी बात है! बाज कभी मनुष्य को पकड़कर ले जाता है क्या? वह तुरंत राजदरबार में गया और व्यापारी पुत्र के नाम शिकायत दर्ज कराई।
न्यायालय में सत्य का सामना | Grandpa Story

न्यायाधीश ने राजसभा में श्रीमान्त को बुलाया। गम्भीर स्वर में पूछा, “व्यापारी पुत्र, यह तुम क्या बात सुना रहे हो? बाज ने तुम्हारे पड़ोसी के लड़के को झपटकर ले गया?”
श्रीमान्त ने शांति से उत्तर दिया, “हाँ हुजूर, मैं जो कह रहा हूँ, सच कह रहा हूँ।”
न्यायाधीश हैरान होकर बोले, “यह हो ही नहीं सकता। ऐसी असम्भव बात मैंने जीवन में नहीं सुनी।”
श्रीमान्त ने विनम्रता से कहा, “हुजूर, यदि मेरी लोहे की तराजू को चूहे खा सकते हैं, तो बाज क्यों लड़के को नहीं ले जा सकता?”
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सत्य का अनावरण और न्याय | Hindi Kahini

श्रीमान्त की बात सुनकर मानो ধাঁধें में पड़ गए। उन्होंने पूरा मामला খুলে बताने को कहा। श्रीमान्त ने तब शुरू से सारी घटना—तराजू गिरवी रखने से लेकर, पड़ोसी के झूठ और आज की घटना—एक-एक करके वर्णन किया।
राजा और सभासद सभी सुनकर অবাক हो गए।
धर्मपाल की धूर्तता और श्रीमान्त की बुद्धिमत्ता—दोनों ही उनके सामने स्पष्ट हो गईं। अभीने धर्मपाल को कठोर फटकार किया और श्रीमान्त की तराजू तुरंत वापस करने का आदेश दिया। धर्मपाल अपमान और भय से काँपते हुए तराजू वापस करने को बाध्य हो गया। दूसरी ओर, श्रीमान्त ने भी पड़ोसी के पुत्र को अखंड अवस्था में लौटा दिया।
निष्कर्ष और नीति |Moral story in Hindi

गाँव के लोग इस घटना के बाद कहने लगे, “धूर्तता चिरकाल तक छिपी नहीं रहती। सत्य का प्रकाश एक दिन अवश्य होगा।” और इस तरह, न्याय के दर्पण में, धर्मपाल की धूर्तता की पराजय हुई, और श्रीमान्त की बुद्धि और সতता ने समाज में एक नया उदाहरण स्थापित किया।
नीति Very Short Story in Hindi
Very Short Story in Hindi ke niti: ‘धूर्तता क्षण भर के लिए विजयी हो सकती है, लेकिन सत्य और न्याय अंततः सदैव विजयी होते हैं।’
FAQ
Q.1: श्रीमान्त कौन था?
Ans: श्रीमान्त एक भाग्यहीन व्यापारी का पुत्र था।
Q.2: श्रीमान्त ने धर्मपाल के पास क्या धरोहर रखा था?
Ans: श्रीमान्त ने धर्मपाल के पास अपनी पुरानी, भारी लोहे की तराजू धरोहर रखी थी।
Q.3: जब श्रीमान्त वापस आया तो धर्मपाल ने तराजू के बारे में क्या कहा?
Ans: धर्मपाल ने कहा कि चूहों ने तराजू खा ली।
Q.4: श्रीमान्त ने धर्मपाल के झूठ का पता कैसे लगाया?
Ans: श्रीमान्त ने तर्क दिया कि अगर चूहे लोहे की तराजू खा सकते हैं, तो बाज धर्मपाल के बेटे को उठा ले जा सकता है।
Q.5: कहानी का नैतिक क्या है?
Ans: कहानी का नैतिक यह है कि धूर्तता क्षण भर के लिए विजयी हो सकती है, लेकिन सत्य और न्याय अंततः सदैव विजयी होते हैं।
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