यह ‘Hindi Story With Moral in Hindi’ कहानी पाँच घनिष्ठ मित्रों (कौआ, चूहा, कछुआ, कबूतर और हिरण) की है, जो अपनी एकता और बुद्धिमत्ता से एक शिकारी को हराते हैं। जब हिरण जाल में फँस जाता है, तो सभी मित्र मिलकर उसे बचाते हैं और शिकारी को खाली हाथ लौटा देते हैं। यह कहानी सच्ची दोस्ती और एकता के महत्व को दर्शाती है।
एक शांत और मनोहर वन के किनारे, जहाँ इक्षुमती नदी अपनी लय में बहती थी, लघुपति कौआ, हिरण्य चूहा और मन्थरक कछुआ—ये तीन घनिष्ठ मित्र आनंदपूर्वक दिन बिताते थे। लघुपति, सेमल के ऊँचे पेड़ की डाल पर बैठकर तीक्ष्ण दृष्टि रखता था, हिरण्य मिट्टी के नीचे सुरक्षित आश्रय में रहता था, और मन्थरक नदी के जल में अपनी दुनिया बनाता था। उनकी मित्रता प्रकृति की तरह ही उदार और बहुआयामी थी।
पाँच मित्रों की अद्भुत मित्रता

कुछ दिनों बाद, चित्रग्रीव कबूतर उनसे आकर मिला। आकाश में स्वतंत्र रूप से घूमने वाला चित्रग्रीव, इस शांत वातावरण में मित्रों की संगति का बहुत आनंद लेता था। फिर, जब चित्रांग हिरण गहरे जंगल से रास्ता भटककर नदी के किनारे आश्रय लेने आया, तो पाँचवें मित्र के रूप में वह भी उनके छोटे घेरे में शामिल हो गया। चित्रांग की सरलता, हिरण्य की बुद्धि, मन्थरक का धीरज, लघुपति की सावधानी और चित्रग्रीव की शांत प्रकृति—सब मिलकर उनकी मित्रता ने एक अद्भुत मेलजोल बनाया।
एक दिन, चित्रांग समय पर अपने ठिकाने पर नहीं लौटा। सूरज डूब रहा था, वन के रास्ते पर शाम की धुंधली रोशनी छा गई थी, लेकिन चित्रांग का कोई समाचार नहीं था। लघुपति, अपनी स्वाभाविक सावधानी से सेमल के सबसे ऊँचे पेड़ की डाल पर जाकर बैठा। चारों ओर तीक्ष्ण दृष्टि घुमाकर उसने जो देखा, उससे उसका दिल धक से रह गया। दूर, नदी के किनारे, शिकारी के जाल में चित्रांग फँसा हुआ तड़प रहा था!
चित्रांग का संकट Read Hindi Story With Moral in Hindi

लघुपति ने एक पल भी देर नहीं की और उड़ गया। तेज़ी से वह चूहे और कबूतर के पास गया और हाँफते हुए खबर दी, “जल्दी चलो! हमारा चित्रांग मित्र शिकारी के जाल में फँस गया है!”
मित्र के संकट की बात सुनकर हिरण्य और चित्रग्रीव का चेहरा सूख गया। मन्थरक भी गहरी चिंता में धीरे-धीरे आगे बढ़ा। वे नदी के किनारे बैठकर गहरी सलाह-मशविरे में जुट गए—मित्र को इस संकट से कैसे बचाया जाए। समय बहुत कम था, क्योंकि शिकारी किसी भी पल लौट सकता था।
अंत में, लघुपति ने एक योजना बनाई। वह चूहे को मुँह में दबाकर हिरण की ओर उड़ गया। पेड़ की डाल पर बैठा कौआ शिकारी के आने के रास्ते पर तीक्ष्ण दृष्टि रखने लगा। जब हिरण्य चित्रांग के पास पहुँचा, तो उसकी आँखों में भय और असहायता थी। चूहे ने मित्र को आश्वासन देते हुए कहा, “डरो मत चित्रांग, मेरे होते हुए तुम्हें कोई चिंता नहीं है। मैं अभी तुम्हें मुक्त करता हूँ।”
मित्रों की बचाव योजना

हिरण्य ने तेज़ी से अपने नुकीले दाँतों से जाल काटना शुरू किया। उसकी तेज़ी से कुछ ही समय में जाल का बंधन ढीला हो गया, चित्रांग मुक्त हो गया। उसी पल, लघुपति उड़ते हुए चिल्लाया, “देखो, शिकारी आ रहा है!”
हिरण को मुक्त करके जब हिरण्य हाँफ रहा था, तो चित्रग्रीव आगे आया और चित्रांग को धीरे से कुछ सलाह दी। चित्रांग मानो उसी निर्देश का इंतजार कर रहा था। उधर, जब शिकारी दौड़कर आया और देखा कि हिरण नहीं है—उसके सिर पर मानो आसमान टूट पड़ा। लेकिन निराश होने से पहले ही उसकी नज़र नदी के किनारे जाल में फँसे मन्थरक पर पड़ी। शिकारी के चेहरे पर मुस्कान आ गई, “चलो, हिरण नहीं तो कछुआ तो है! यह भी बुरा शिकार नहीं है।” यह सोचकर वह कछुए को जाल सहित कंधे पर उठाने के लिए जैसे ही झुका, तभी एक अप्रत्याशित घटना घटी।
हिरण्य की बुद्धि और चित्रग्रीव की सलाह

सलाह के अनुसार, चित्रांग थोड़ी दूर जाकर मरे हुए की तरह ज़मीन पर गिर पड़ा। लघुपति कौआ उड़ते हुए हिरण के सिर के ऊपर चक्कर लगाने लगा, और चोंच से हिरण की आँखें नोचने का नाटक करने लगा। शिकार पकड़ने की खुशी में डूबा शिकारी सोचने लगा, “अरे, यह तो मरा हुआ हिरण भी मिल गया! आज तो मज़ा आ गया!” कछुए को नदी के किनारे जाल में फँसा हुआ छोड़कर, शिकारी उछल-कूद करते हुए मरे हुए हिरण को पकड़ने चला गया।
हिरण्य इसी मौके का इंतजार कर रहा था। तेज़ी से वह मन्थरक के जाल के पास दौड़ा और पल भर में अपने नुकीले दाँतों से जाल काट दिया। मन्थरक ने देर नहीं की और छपाक से नदी के जल में कूद गया। उधर, जब शिकारी कौए को भगाने गया, तो कौआ और भी परेशान करने लगा—चोंच से उसके सिर पर चोंच मारने लगा। जब शिकारी दर्द से अपना सिर खुजला रहा था, तो चित्रांग बिजली की तरह उछला और दौड़कर गहरे जंगल में गायब हो गया।
शिकारी की हार और मित्रों की जीत

अंत में, जब शिकारी हाँफते हुए अपने जाल में फँसे कछुए के पास लौटा, तो उसने देखा—वहाँ सिर्फ फटा हुआ जाल था, और कछुए का कोई निशान नहीं था! शिकारी ने अपना सिर पकड़ लिया। उसकी सारी आशाएँ, सारी योजनाएँ मानो पल भर में धूल में मिल गईं। शिकार के लालच में डूबा शिकारी, मित्रों की संयुक्त बुद्धि के सामने हारकर, अपना सिर पीटते हुए खाली हाथ घर की ओर चल दिया। और पाँच मित्र—कौआ, चूहा, कछुआ, कबूतर और हिरण—अपनी गहरी मित्रता और बुद्धिमत्ता का गुणगान करते हुए अपने आश्रय में लौट गए।
नैतिक शिक्षा Hindi Story With Moral in Hindi:
एकता में बल है, और सच्ची मित्रता में असंभव भी संभव हो जाता है।
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FAQ
Q.1: इस कहानी में कितने मित्रों की बात की गई है?
Ans: इस कहानी में पाँच मित्रों की बात की गई है: कौआ, चूहा, कछुआ, कबूतर और हिरण।
Q.2: हिरण शिकारी के जाल से कैसे मुक्त हुआ?
Ans: चूहे ने अपने नुकीले दाँतों से जाल काटकर हिरण को मुक्त किया।
Q.3: मित्रों ने शिकारी को कैसे मूर्ख बनाया?
Ans: मित्रों ने मिलकर योजना बनाई और शिकारी को भ्रमित किया। हिरण ने मरने का नाटक किया, कौए ने शिकारी का ध्यान भटकाया और चूहे ने कछुए का जाल काट दिया।
Q.4: इस कहानी की मुख्य शिक्षा क्या है?
Ans: इसकहानी कहानी की मुख्य शिक्षा है कि एकता में बल है और सच्ची मित्रता में असंभव भी संभव हो जाता है।
Q.5: कहानी में उल्लिखित नदी का नाम क्या है?
Ans: कहानी में उल्लिखित नदी का नाम इक्षुमती है।
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