एक चालाक कौवा शिकारी को कबूतरों के लिए जाल बिछाते हुए देखता है। कबूतर जाल में फँस जाते हैं, लेकिन एकता दिखाते हुए जाल समेत उड़ जाते हैं। वे एक चूहे से मदद माँगते हैं, जो जाल काट देता है। कौवा और चूहा दोस्त बन जाते हैं और एक कछुए के साथ खुशी से रहते हैं। कहानी दोस्ती और एकता की शक्ति पर जोर देती है।

गहरे जंगल के किनारे, आकाश को छूता हुआ एक विशाल सेमल का पेड़ था। वसंत ऋतु में जब वह लाल फूलों से भर जाता था, तो दूर से देखने पर ऐसा लगता था मानो हरी-भरी धरती पर आग लग गई हो। उस सेमल के पेड़ की सबसे ऊँची डाली पर लघुपति नाम का एक चालाक कौवा घोंसला बनाकर रहता था। लघुपति बहुत चतुर था, उसकी तेज नजरें हमेशा चारों ओर घूमती रहती थीं, मानो दुनिया की हर चीज उसकी मुट्ठी में हो।
एक दिन, सुबह की सुनहरी धूप जब पेड़ के पत्तों पर चमक रही थी, लघुपति ने एक अजीब दृश्य देखा। पेड़ के नीचे, छाया की गहराई में, एक भयानक दिखने वाला आदमी खड़ा था। उसके हाथ में जाल और लाठी थी, और उसकी आँखों में शिकार पकड़ने की एक अटूट इच्छा दिखाई दे रही थी। लघुपति समझ गया कि आज जंगल में खतरा आ सकता है।
कहानी से सीख: दोस्ती में ही शक्ति है,गहरी दोस्ती की कहानी

कुछ ही देर बाद उस आदमी ने जो किया, वह और भी भयानक था। उसने पेड़ के नीचे जाल बिछाया, और उस पर सुनहरे चावल के दाने बिखेर दिए। फिर शिकारी की तरह चुपचाप, दूसरे घने पेड़ की आड़ में छिप गया। लघुपति पेड़ की डाली से तेज नजरों से सब देख रहा था और सोच रहा था, “यह जरूर कोई जाल है!”
ठीक उसी समय, आकाश से कबूतरों का एक झुंड उड़ता हुआ आया, जिसका नेतृत्व चित्रग्रीव नाम का उनका राजा कर रहा था। चित्रग्रीव शांत और बुद्धिमान थे, उनकी आवाज से मानो आकाश में शांति छा जाती थी। जब कबूतरों का झुंड पेड़ के नीचे उतरा, तो जमीन पर बिखरे हुए ढेर सारे चावल के दाने देखकर उनकी आँखें चमक उठीं। भूखे कबूतर खुशी से बेहाल होकर दाना खाने लगे। लेकिन हाय! दाना खाते ही उनके पैर जाल में फँस गए।
शिकारी का जाल और कबूतरों का झुंड | Gahri Doosti Ki Kahani in Hindi

हजारों कबूतरों का झुंड, मुक्ति की उम्मीद में छटपटाने लगा, लेकिन जाल का बंधन लगातार और भी कठिन होता गया। चारों ओर सिर्फ पंखों के फड़फड़ाने और दर्द भरी आवाजों की गूँज थी। चित्रग्रीव ने शांत स्वर में अपने साथियों को ढाँढस बंधाते हुए कहा, “डरो मत दोस्तों। अगर हम सब मिलकर कोशिश करेंगे तो निश्चित रूप से मुक्त हो जाएँगे। तुम सब अपनी चोंच से जाल को पकड़ लो, और मेरे साथ मिलकर पूरी ताकत से ऊपर की ओर उड़ने की कोशिश करो।”
राजा चित्रग्रीव की सलाह मानते हुए, कबूतरों का झुंड पूरी ताकत से उड़ने लगा। उनकी সম্মিলিত शक्ति और सच्ची कोशिश से, जाल जमीन से ऊपर उठने लगा। शिकारी का बिछाया हुआ जाल मानो पक्षियों के पंखों के सामने हार गया। जाल समेत कबूतरों का झुंड आकाश में उड़ गया, और হতभाग्य शिकारी जाल खोकर, गुस्से और निराशा से जलता हुआ जंगल के रास्ते चला गया।
राजा चित्रग्रीव की बुद्धिमानी और एकता की शक्ति

आकाश में उड़ते हुए चित्रग्रीव ने सोचा, “इस खतरे से बचने के लिए, मेरा दोस्त हिरण्य ही एकमात्र सहारा है।” हिरण्य, एक शक्तिशाली चूहा था, जिसके तेज दाँत किसी भी मजबूत बंधन को पल भर में काट सकते थे। चित्रग्रीव ने अपने साथियों से कहा, “दोस्तों, चिंता मत करो। मेरा हिरण्य नाम का एक परम मित्र है। चलो, हम उसके पास चलते हैं। वह आसानी से जाल काटकर हमें मुक्त कर देगा।”
कबूतरों का झुंड उड़ते-उड़ते चूहे के बिल के पास उतर आया। चित्रग्रीव ने दोस्त का नाम पुकारना शुरू कर दिया, “हिरण्य! ओ मेरे दोस्त हिरण्य! हम मुसीबत में हैं, जल्दी आओ और हमारी रक्षा करो।”
बिल के अंदर से हिरण्य दौड़ता हुआ बाहर आया। दोस्त को जाल में फँसा देखकर उसकी आँखें फटी रह गईं। चित्रग्रीव ने विस्तार से सारी घटना बताई। हिरण्य ने बिना देर किए, अपने तेज दाँतों से जाल काटना शुरू कर दिया। पल भर में जाल का बंधन टूट गया, और कबूतरों का झुंड मुक्त होकर खुशी से अपने पंख फड़फड़ाने लगा। चित्रग्रीव ने दोस्त को धन्यवाद दिया और अपने साथियों के साथ उड़ गया, और हिरण्य भी अपने बिल में वापस चला गया।
हिरण्य चूहे की मदद और जाल से मुक्ति | Hindi Story

इधर, सेमल के पेड़ की डाली पर बैठा लघुपति कौवा दूर से सब कुछ देख रहा था। जब कबूतरों के झुंड को चूहे की मदद से मुक्ति मिली, तो वह उत्सुक होकर चूहे के बिल के पास आया। लघुपति ने सोचा, “इतने शक्तिशाली चूहे से दोस्ती करना बुरा नहीं है।” वह बिल के पास आया और हिरण्य को बुलाकर कहा, “हे मित्र हिरण्य, तुम्हारी मुसीबत से बचाने की अद्भुत क्षमता देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ। इसलिए मैं तुमसे दोस्ती करने आया हूँ।”
बिल के बाहर आकर कौवे को देखकर हिरण्य पहले थोड़ा घबरा गया। उसने कहा, “कौवे, तुम यहाँ से चले जाओ। शिकारी और शिकार के बीच कभी दोस्ती नहीं हो सकती।” हिरण्य के मन में डर था कि कौवा शायद मौका मिलते ही उसे खा जाएगा।
कौवे और चूहे की अनोखी दोस्ती | Hindi Moral Story ‘Gahri Doosti Ki Kahani”

लघुपति कौवा हँसकर बोला, “यह क्या कह रहे हो मित्र? तुम्हें खाकर मुझे कोई खास फायदा नहीं होगा। लेकिन अगर तुम जीवित रहोगे, तो कई दिनों तक मेरी जान बच सकती है। मुसीबत में हम एक-दूसरे के काम आ सकते हैं।” कौवे की दोस्ती की इच्छा देखकर हिरण्य का मन नरम हो गया। वह समझ गया कि कौवे के मन में कोई द्वेष नहीं है।
हिरण्य बिल से कुछ सूखा मांस निकालकर लाया, और कौवा पेड़ की डाली से फल तोड़कर लाया। दोनों ने साथ मिलकर बड़े आनंद से भोजन किया। उस दिन से कौवे और चूहे के बीच गहरी दोस्ती हो गई।
एक दिन, लघुपति कौवे ने हिरण्य से कहा, “मित्र, इस जंगल में तो हम ठीक हैं, लेकिन दूर, जंगल के किनारे एक विशाल नदी है। वहाँ मন্থरक नाम का मेरा एक कछुआ दोस्त रहता है। सुना है, उस नदी में बहुत सारा मांसाहारी भोजन मिलता है। चलो ना, दोनों मिलकर घूम आते हैं, और दोस्त मন্থरक से भी मुलाकात हो जाएगी।”
कछुए मন্থरक से मित्रता और तीनों दोस्तों का साथ
दोस्त के प्रस्ताव पर राजी होकर हिरण्य कौवे के साथ नदी की ओर रवाना हो गया। नदी के किनारे आकर उन्होंने देखा कि मন্থरक कछुआ धीरे-धीरे नदी के किनारे घूम रहा है। लघुपति कौवे ने पेड़ की डाली पर घोंसला बनाया, हिरण्य ने नदी के किनारे बिल खोदकर अपना आश्रय बनाया, और मন্থरक तो नदी के पानी में ही राज करता था। मন্থरक हर दिन नदी से मछली और मछली के अंडे पकड़कर लाता था, और तीनों दोस्त मिलकर खुशी से दिन बिताने लगे। कौवा, चूहा और कछुआ—तीन अलग-अलग स्वभाव के प्राणी, लेकिन उनकी दोस्ती गहरी और अटूट थी।
नीति:’गहरी दोस्ती की कहानी‘
दोस्ती का बंधन सभी मतभेदों को तोड़ देता है, और मुसीबत में सच्चा दोस्त ही काम आता है।
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FAQ
Q.1: ‘गहरी दोस्ती की कहानी’ कहानी में शिकारी ने जाल क्यों बिछाया था?
Ans: शिकारी ने कबूतरों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया था और उस पर सुनहरे चावल के दाने बिखेर दिए थे।
Q.2: ‘गहरी दोस्ती की कहानी’ कबूतर जाल में कैसे फँस गए?
Ans: कबूतर नीचे उतरे और जमीन पर बिखरे हुए चावल के दानों को देखकर लोभ में पड़ गए। जैसे ही उन्होंने दाना खाना शुरू किया, उनके पैर जाल में फँस गए।
Q.3: कबूतरों को जाल से किसने और कैसे बचाया?
Ans: कबूतरों को चित्रग्रीव के दोस्त हिरण्य नाम के एक शक्तिशाली चूहे ने बचाया। हिरण्य ने अपने तेज दांतों से जाल काटकर कबूतरों को मुक्त कर दिया।
Q.4: लघुपति कौवे ने हिरण्य चूहे से दोस्ती क्यों की?
Ans: लघुपति कौवे ने हिरण्य की कबूतरों को बचाने की अद्भुत क्षमता देखी और उससे प्रभावित होकर दोस्ती करना चाहा। उसने सोचा कि ऐसे शक्तिशाली चूहे से दोस्ती करना बुरा नहीं है।
Q.5: गहरी दोस्ती की कहानी में तीन दोस्त कौन-कौन बने?
Ans: कहानी में तीन दोस्त लघुपति कौवा, हिरण्य चूहा और मंथरक कछुआ बने।
Q.6: गहरी दोस्ती की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
Ans: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता में शक्ति होती है और सच्चे दोस्त हमेशा एक दूसरे की मदद करते हैं, भले ही वे अलग-अलग हों।
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